रविवार, 28 अक्तूबर 2012

ग़ज़ल(चेहरे की हक़ीक़त )



ग़ज़ल(चेहरे की हक़ीक़त )


चेहरे की हक़ीक़त  को समझ जाओ तो अच्छा है
तन्हाई के आलम में ये अक्सर बदल जाता है

मिली दौलत ,मिली शोहरत,मिला है मान उसको क्यों
मौका जानकर अपनी जो बात बदल जाता है

क्या बताये आपको हम अपने  दिल की दास्ताँ
किसी पत्थर की मूरत पर ये अक्सर मचल जाता है

किसी का दर्द पाने की तमन्ना जब कभी उपजे
जीने का नजरिया फिर उसका बदल जाता है

ग़ज़ल:
मदन मोहन सक्सेना

12 टिप्‍पणियां:

  1. मिली दौलत ,मिली शोहरत,मिला है मान उसको क्यों
    मौका जानकर अपनी जो बात बदल जाता है

    अपने परिवेश से बहरूपिया भेष से सहज बतियाती हुई गज़ल .बधाई .

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    1. श्रद्धेय वर ; नमन !…… आप की हार्दिकता सदैव कुछ न कुछ नया करने को प्रेरित करती है | प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ

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  2. Monday, October 29, 2012
    प्यास
    मेरे हमनसी मेरे हमसफ़र .तुझे खोजती है मेरी नजर।।।।।।।।।।हमनशीं ....
    तुम्हें हो ख़बर की न हो ख़बर मुझे सिर्फ तेरी तलाश है

    मेरे साथ तेरा प्यार है ,तो जिंदगी में बहार है
    मेरी जिंदगी तेरे दम से है ,इस बात का एहसाश है।।।।।।।।एहसास .........

    मेरे इश्क का है ये असर ,मुझे सुबह शाम की न ख़बर
    मेरे दिल में तू रहती सदा , तू ना दूर है ना पास है

    ये तो हर किसी का ख्याल है ,तेरे रूप की न मिसाल है
    कैसें कहूं तेरी अहमियत मेरी जिंदगी में खास है

    तेरी झुल्फ जब लहरा गयी, काली घटायें छा गयी ...........ज़ुल्फ़ .....
    हर पल तुम्हें देखा करू ,आँखों में फिर भी प्यास है
    भाई साहब अच्छी गजल है .बधाई .

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  3. किसी का दर्द पाने की तमन्ना जब कभी उपजे
    जीने का नजरिया फिर उसका बदल जाता है
    ...SAHI BAT...

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  4. कल 02/11/2012 को आपकी यह खूबसूरत पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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    1. शुक्रिया हलचल में हमारी पोस्ट शामिल करने का।प्रोत्साहन के लिए आपका हृदयसे आभार

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  5. शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन..बहुत उम्दा रचना

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  6. मिली दौलत ,मिली शोहरत,मिला है मान उसको क्यों
    मौका जानकर अपनी जो बात बदल जाता है ....खूबसूरत!
    बधाई!
    शुभकामनाएँ!

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    1. मेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा .आभार .

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