ग़ज़ल(दिल भी यार पागल)
जिसे चाहा उसे छीना , जो पाया है सहेजा है
उम्र बीती है लेने में ,मगर फिर शून्यता क्यों हैं
सभी पाने को आतुर हैं , नहीं कोई चाहता देना
देने में ख़ुशी जो है, कोई बिरला सीखता क्यों है
कहने को तो , आँखों से नजर आता सभी को है
अक्सर प्यार में मन से, मुझे फिर दीखता क्यों है
दिल भी यार पागल है ,ना जाने दीन दुनिया को
दिल से दिल की बातों पर आखिर रीझता क्यों है
आबाजों की महफ़िल में दिल की कौन सुनता है
सही चुपचाप रहता है और झूठा चीखता क्यों है
ग़ज़ल :
मदन मोहन सक्सेना
इन्तजार रहता है आदरणीय-
जवाब देंहटाएंबढ़िया है-
बहुत सुन्दर गज़ल है मदन जी...विशेषकर यह शेर
जवाब देंहटाएंआबाजों की महफ़िल में दिल की कौन सुनता है
सही चुपचाप रहता है और झूठा चीखता क्यों है ...लाजवाब् है .
sunder bhaav!
जवाब देंहटाएंदिल भी यार पागल है ,ना जाने दीन दुनिया को
जवाब देंहटाएंदिल से दिल की बातों पर आखिर रीझता क्यों है ....dil to pagal hai .......isiliye bahut acchi abhiwayakti....
लाजवाब ग़ज़ल आदरणीय
जवाब देंहटाएंभाई मदन जी इस खूबसूरत ग़ज़ल पर दिल से दाद कबूल करें। मैंने आपको एक मेल भेजी है समय मिले तो देख लें।
जवाब देंहटाएंनीरज
भई वाह ..
जवाब देंहटाएंबढ़िया अभिव्यक्ति है !
जितनी लाजवाब आपकी गजल उतना ही हमें भी आपकी गजल ने लाजवब बना दिया
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा ..भाव पूर्ण रचना
मेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू
कहने को तो , आँखों से नजर आता सभी को है
जवाब देंहटाएंअक्सर प्यार में ,मन से मुझे फिर दीखता क्यों है ...
क्योंकि प्रेम मन की आँखों का खेल है ... ये होता है ओर मन के द्वार खुल जाते हैं ... अच्छा शेर है बहुत ही ..
bahut sundar sahaj ghzal
जवाब देंहटाएंbehatareen gazal,Madan Ji,Badhayee
जवाब देंहटाएंझूठा चीखता क्यों है.................
जवाब देंहटाएंNice blog.
जवाब देंहटाएंwww.anucreations.blogspot.in
आबाजों की महफ़िल में दिल की कौन सुनता है
जवाब देंहटाएंसही चुपचाप रहता है और झूठा चीखता क्यों है ....
....काश किसीके पास इसका जवाब होता ..उम्दा ग़ज़ल
"आबाजों की महफ़िल में दिल की कौन सुनता है
जवाब देंहटाएंसही चुपचाप रहता है और झूठा चीखता क्यों है"............. वाह ..
बहुत सुन्दर . अच्छी गज़ल.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंआबाजों की महफ़िल में दिल की कौन सुनता है
सही चुपचाप रहता है और झूठा चीखता क्यों है
शुभकामनाएँ.