ग़ज़ल(मेरे हमनसी मेरे हमसफ़र )
मेरे हमनसी मेरे हमसफ़र ,तुझे खोजती है मेरी नजर
तुम्हें हो ख़बर की न हो ख़बर ,मुझे सिर्फ तेरी तलाश है
मेरे साथ तेरा प्यार है ,तो जिंदगी में बहार है
मेरी जिंदगी तेरे दम से है ,इस बात का एहसाश है
तेरे इश्क का है ये असर ,मुझे सुबह शाम की ना ख़बर
मेरे दिल में तू रहती सदा , तू ना दूर है और ना पास है
ये तो हर किसी का ख्याल है ,तेरे रूप की न मिसाल है
कैसें कहूँ तेरी अहमियत, मेरी जिंदगी में खास है
तेरी झुल्फ जब लहरा गयी , काली घटायें छा गयी
हर पल तुम्हें देखा करू ,आँखों में फिर भी प्यास है
ग़ज़ल:
मदन मोहन सक्सेना
खूबसूरत :-)
जवाब देंहटाएंबढ़िया भाव-
जवाब देंहटाएंएक-आध प्रिंटिंग मिस्टेक हैं-
शुभकामनायें आदरणीय
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल... बधाई
जवाब देंहटाएंहर पल तुम्हें देखा करू ,आँखों में फिर भी प्यास है
जवाब देंहटाएंक्या बात है,बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल.
मेरे हमनसी मेरे हमसफ़र ,तुझे खोजती है मेरी नजर
जवाब देंहटाएंतुम्हें हो ख़बर की न हो ख़बर ,मुझे सिर्फ तेरी तलाश है
बहुत सुन्दर क्या खूब कहा है मन को छूती पक्तिया
मेरी नई रचना
प्रेमविरह
एक स्वतंत्र स्त्री बनने मैं इतनी देर क्यूँ
मेरे साथ तेरा प्यार है ,तो जिंदगी में बहार है
जवाब देंहटाएंमेरी जिंदगी तेरे दम से है ,इस बात का एहसाश है ..
किसी का साथ मिल जाए तो जीवन जीने का एहसास अपने आप ही आ जाता है ...
लाजवाब शेर है ...
उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
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