ग़ज़ल (हम इंतजार कर लेगें ) बोलेंगे जो भी हमसे बह ,हम ऐतवार कर लेगें जो कुछ भी उनको प्यारा है ,हम उनसे प्यार कर लेगें वह मेरे पास आयेंगे ये सुनकर के ही सपनो में क़यामत से क़यामत तक हम इंतजार कर लेगें
मेरे जो भी सपने है और सपनों में जो सूरत है उसे दिल में हम सज़ा करके नजरें चार कर लेगें जीवन भर की सब खुशियाँ ,उनके बिन अधूरी है अर्पण आज उनको हम जीबन हजार कर देगें हमको प्यार है उनसे और करते प्यार बह हमको गर अपना प्यार सच्चा है तो मंजिल पर कर लेगें
कुछ शेर उसे हम दोस्त क्या मानें दिखे मुश्किल में मुश्किल से मुसीबत में भी अपना हो उसी को दोस्त मानेगें जो दिल को तोड़ ही डाले उसे हम प्यार क्या जानें दिल से दिल मिलाये जो उसी को प्यार जानेंगें ****************************************************** बाप बेटा माँ या बेटी स्वार्थ के रिश्ते सभी से उम्र के अंतिम सफ़र में अपना नहीं कोई दोस्तों स्वप्न थे सबके दिलों में अपना प्यार हो परिबार हो स्वार्थ लिप्सा देखकर अब सपना नहीं कोई दोस्तों ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ अपने और गैरों में फर्क करना नहीं यारों मर्जी क्या खुदा की हो अपने कौन हो जाएँ जिसे पाला जिसे पोषा अगर बन जायें बह कातिल हंसी जीवन गुजरने के सपनें मौन हो जाएँ
रिश्तें नातें प्यार बफ़ा से सबको अब इन्कार हुआ बंगला ,गाड़ी ,बैंक तिजोरी इनसे सबको प्यार हुआ जिनकी ज़िम्मेदारी घर की वह सात समुन्द्र पार हुआ इक घर में दस दस घर देखें अज़ब गज़ब सँसार हुआ मिलने की है आशा जिससे उस से सब को प्यार हुआ ब्यस्त हुए तव बेटे बेटी बूढ़ा जब वीमार हुआ