बुधवार, 26 दिसंबर 2012

ग़ज़ल(सोच)



 ग़ज़ल(सोच)


कैसी सोच अपनी है किधर हम जा रहें यारों
गर कोई देखना चाहें बतन मेरे बो आ जाये

तिजोरी में भरा धन है मुरझाया सा बचपन है
ग़रीबी भुखमरी में क्यों जीबन बीतता जाये

ना करने का ही ज़ज्बा है ना बातों में ही दम दीखता
हर एक दल में सत्ता की जुगलबंदी नजर आयें .

कभी बाटाँ धर्म ने है कभी जाति में खो जाते
हमारें रह्नुमाओं का, असर सब पर नजर आये

ना खाने को ना पीने को ,ना दो पल चैन जीने को
ये कैसा तंत्र है यारों , ये जल्दी से गुजर जाये


ग़ज़ल प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

21 टिप्‍पणियां:

  1. "ये कैसा तंत्र है यारों, ये जल्दी से गुजर जाये"
    आमीन

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    1. आपकी प्यार भरी, उत्साह बढ़ाने वाली प्रतिक्रिया मिली बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद !

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  2. बढ़िया प्रासंगिक गजल देश के हालात पे दृष्टिपात .


    कैसी सोच अपनी है किधर हम जा रहें यारों
    गर कोई देखना चाहें बतन मेरे बो आ जाये

    (रहे ,यारों ,वतन ,वह )

    Virendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 खबरनामा सेहत का



    Virendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    ram ram bhai मुखपृष्ठ http://veerubhai1947.blogspot.in/ बृहस्पतिवार, 27 दिसम्बर 2012 दिमागी तौर पर ठस रह सकती गूगल पीढ़ी

    स्पेम में गईं हैं टिप्पणियाँ भाई साहब .

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    1. अनेकानेक धन्यवाद सकारात्मक टिप्पणी हेतु.

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  3. ना खाने को ना पीने को ,ना दो पल चैन जीने को
    ये कैसा तंत्र है यारों , ये जल्दी से गुजर जाये

    ....बहुत सच कहा है...बहुत सटीक और सुन्दर प्रस्तुति...

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    1. आदरणीय जी ,सादर अभिवादन ! प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ ! सदैव मेरे ब्लौग आप का स्वागत है !!

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  4. बहुत खूब। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।

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  5. बहुत सटीक और सुन्दर प्रस्तुति.

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    1. अनेकानेक धन्यवाद सकारात्मक टिप्पणी हेतु.

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  6. कैसी सोच अपनी है किधर हम जा रहें यारों
    गर कोई देखना चाहें बतन मेरे बो आ जाये ...

    सच कहा है ... अपनी अपनी सोच को बदलना होगा ...
    आपको २०१३ की शुभकामनायें ...

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    1. अनेकानेक धन्यवाद सकारात्मक टिप्पणी हेतु.

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  7. सचमुच जीवन विषमताओं से भरा है कविता इसे संवेदनशील रूप में व्यक्त कर रही है।

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    1. प्रोत्साहन के लिए आपका हृदयसे आभार . सदैव मेरे ब्लौग आप का स्वागत

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  8. desh ke haalato ka chitran karti ...behatareen rachna...Badhai

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    1. प्रोत्साहन के लिए आपका हृदयसे आभार . सदैव मेरे ब्लौग आप का स्वागत

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  9. शुक्रिया आपकी ताज़ा टिप्पणियों का .आप रहें .भावनाओं का ज्वार अपनी दिशा खुद ब खुद ले लेगा भाई साहब

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    1. आपका हृदयसे आभार . सदैव मेरे ब्लौग आप का स्वागत

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  10. शुक्रिया आपकी ताज़ा टिप्पणियों का .आप रहें .भावनाओं का ज्वार अपनी दिशा खुद ब खुद ले लेगा भाई साहब

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  11. मदन जी बहुत ही सुन्दर एव सार्थक अभिव्यक्ति।

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