ग़ज़ल(हम उनसे प्यार कर लेगें )
बोलेंगे जो भी हमसे वह ,हम ऐतवार कर लेगें
जो कुछ भी उनको प्यारा है ,हम उनसे प्यार कर लेगें
वह मेरे पास आयेंगे ये सुनकर के ही सपनो में
क़यामत से क़यामत तक हम इंतजार कर लेगें
मेरे जो भी सपने है और सपनों में जो सूरत है
उसे दिल में हम सज़ा करके नजरें चार कर लेगें
जीवन भर की सब खुशियाँ ,उनके बिन अधूरी है
अर्पण आज उनको हम जीबन हजार कर देगें
हमको प्यार है उनसे और करते प्यार वह हमको
गर अपना प्यार सच्चा है तो मंजिल पर कर लेगें
ग़ज़ल:
मदन मोहन सक्सेना
बेहतरीन गज़ल!
जवाब देंहटाएंसच्चे प्यार का फल अवश्य ही मीठा होता है। बहुत सुन्दर गजल,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंराजेन्द्र ब्लॉग
हमको प्यार है उनसे और करते प्यार बो हमको
जवाब देंहटाएंगर अपना प्यार सच्चा है तो मंजिल पर कर लेगें
yun to gajal ka hr sher kabile tareef hai pr aakhiri sher to mn ko hi kured gya .....aabhar saxena ji .
bahut umda...wahh..
जवाब देंहटाएंhttp://ehsaasmere.blogspot.in/2013/01/blog-post.html
वाह ...बहुत शानदार गजल।
जवाब देंहटाएंrecent poem : मायने बदल गऐ
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर साब | आनंद आ गया | कोशिश करूँगा आपकी और भी गजलें पढूं | अभी इस ब्लॉग जगत में नया नया आया हूँ सो धीरे धीरे ही सभी खूबसूरत और कलाकार हस्तियों से तार्रुफ़ हो पायेगा | आपकी नज़्म बेहद पसंद आई खास तौर पर ये दो लाइन :
जवाब देंहटाएंजीवन भर की सब खुशियाँ, उनके बिन अधूरी है
अर्पण आज उनको हम जीबन हजार कर देगें
मेरा आभार
तमाशा-ए-ज़िन्दगी
bahut khoob..
जवाब देंहटाएंsunder ghazal
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