ग़ज़ल (सेक्युलर कम्युनल)
जब से बेटे जबान हो गए
मुश्किल में क्यों प्राण हो गए
किस्से सुन सुन के संतों के
भगवन भी हैरान हो गए
आ धमके कुछ ख़ास बिदेशी
घर बाले मेहमान हो गए
सेक्युलर कम्युनल के चक्कर में
गाँव गली शमसान हो गए
कैसा दौर चला है अब ये
सदन कुश्ती के मैदान हो गए
बिन माँगें सब राय दे दिए
कितनों के अहसान हो गए
ग़ज़ल प्रस्तुति: मदन मोहन सक्सेना
कितनी आसानी से आप सब कह जाते हैं
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनायें
बहुत बहुत आभार आदरणीय-
जवाब देंहटाएंतीन दिन प्रवास में बीते-
सादर-
कैसा दौर चला है अब ये
जवाब देंहटाएंसदन कुश्ती के मैदान हो गए ...
बहुत खूब ... लाजवाब गज़ल है आज के सदन को हूबहू लिखा है ..
पथरा गई सूख के आँखे, घरवाले इतना रोये है
जवाब देंहटाएंजाने कितने जिगर के टुकडे शय्या मौत की सोये है
फ़सल से काटे गये बंदे , दोनो ही संप्रदाय के
नफरत के बीज़ देश मे ,हुक्मरानों ने ऐसे बोये हैं
सुरS
बढ़िया गजल |
जवाब देंहटाएंकैसा दौर चला है अब ये
जवाब देंहटाएंसदन कुश्ती के मैदान हो गए
कैसा दौर चला है अब ये
जवाब देंहटाएंसदन कुश्ती के मैदान हो गए .......क्या खूब कटाक्ष के अंदाज़।
सुन्दर प्रस्तुति।
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सुंदर गज़ल...
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