शुक्रवार, 29 जुलाई 2016

मेरी पोस्ट , ग़ज़ल (दोस्ती आती नहीं है रास अब बहुत ज्यादा पास की)जागरण जंक्शन में प्रकाशित



प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी पोस्ट ,
ग़ज़ल (दोस्ती आती नहीं है रास अब बहुत ज्यादा पास की)जागरण जंक्शन में प्रकाशित हुयी है , बहुत बहुत आभार जागरण जंक्शन टीम। आप भी अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएँ .

 

 
 
 http://madansbarc.jagranjunction.com/2016/07/12/%E0%A5%9A%E0%A5%9B%E0%A4%B2-%E0%A4%A6%E0%A5%8B%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%80-%E0%A4%86%E0%A4%A4%E0%A5%80-%E0%A4%A8%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%82-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B8/
 
 ग़ज़ल (दोस्ती आती नहीं है रास अब बहुत ज्यादा पास की) 

नरक की अंतिम जमीं तक गिर चुके हैं आज जो
नापने को कह रहे , हमसे बह दूरियाँ आकाश की
 


इस कदर भटकें हैं युबा आज के इस दौर में
खोजने से मिलती नहीं अब गोलियां सल्फ़ास की
 

  
आज हम महफूज है क्यों दुश्मनों के बीच में
दोस्ती आती नहीं है रास अब बहुत ज्यादा पास की
 


बँट गयी सारी जमी ,फिर बँट गया ये आसमान
क्यों आज फिर हम बँट गए ज्यों गड्डियां हो तास की
 


हर जगह महफ़िल सजी पर दर्द भी मिल जायेगा
अब हर कोई कहने लगा है आरजू बनवास की
 


मौत के साये में जीती चार पल की जिंदगी
क्या मदन ये सारी दुनिया, है बिरोधाभास की

 
मेरी पोस्ट , ग़ज़ल (दोस्ती आती नहीं है रास अब बहुत ज्यादा पास की)जागरण जंक्शन में प्रकाशित


मदन मोहन सक्सेना

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