दर्द का सहारा तो बस जीने के लिए हैं
पी करके मर्जे इश्क में बहका न कीजिये
ख़ामोशी की मदिरा तो बस पीने के लिए हैं
फूल से अलगाब की खुशबु न लीजिये
क्या प्यार की चर्चा ,बस मदीने के लिए है
टूटे है दिल ,टूटा भरम, और ख्बाब भी टूटे हुये
क्या ये सारी चीज़े उम्र भर सीने के लिए हैं
वक़्त के दरिया में क्यों प्यार के सपनें बहे
क्या जज्बात की कीमत चंद महीने के लिए है
ग़ज़ल:
मदन मोहन सक्सेना
दर्द को अपने से कभी रुखसत न कीजियें
जवाब देंहटाएंदर्द का सहारा तो बस जीने के लिए हैं ..
Time never stops. Nice lines.
lajabab prastuti ke liye abhar saxena ji
जवाब देंहटाएं