बुधवार, 8 जून 2011

ग़ज़ल(ये दुनिया मुस्कराती है)




ग़ज़ल(ये दुनिया मुस्कराती है)

जुदा हो करके के तुमसे अब ,तुम्हारी याद आती है 
मेरे दिलबर तेरी सूरत ही मुझको रास आती है 

कहूं कैसे मैं ये तुमसे बहुत मुश्किल गुजारा  है
भरी दुनियां में बिन तेरे नहीं कोई सहारा है

मुक्कद्दर आज रूठा है और किस्मत आजमाती है
नहीं अब चैन दिल को है ना  मुझको नींद आती है

कदम बहकें हैं अब मेरे ,हुआ चलना भी मुश्किल है
ये मौसम है बहारों  का , रोता आज ये दिल है

ना कोई अब खबर तेरी ,ना मिलती आज पाती है
हालत देखकर मेरी, ये दुनिया मुस्कराती है

बहुत मुश्किल है ये कहना  कि किसने खेल खेला है
उधर तनहा अकेली तुम, इधर ये दिल अकेला है 

पाकर के तनहा मुझको उदासी पास आती है
सुहानी रात मुझको अब नागिन सी डराती है

प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना


7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत मुश्किल है ये कहना कि किसने खेल खेला है
    उधर तनहा अकेली तुम, इधर ये दिल अकेला है

    Nice lines.

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  2. बहुत मुश्किल है ये कहना कि किसने खेल खेला है
    उधर तनहा अकेली तुम, इधर ये दिल अकेला है

    ख्याल बहुत सुन्दर है और निभाया भी है आपने उस हेतु बधाई

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