ग़ज़ल (ख्बाब )
ख्बाब था मेहनत के बल पर , हम बदल डालेंगे किस्मत
ख्बाब केवल ख्बाब बनकर, अब हमारे रह गए हैं
कामचोरी ,धूर्तता, चमचागिरी का अब चलन है
बेअरथ से लगने लगे है ,युग पुरुष जो कह गए हैं
दूसरों का किस तरह नुकसान हो सब सोचते है
त्याग ,करुना, प्रेम ,क्यों इस जहाँ से बह गए हैं
अब करा करता है शोषण ,आजकल बीरों का पौरुष
मानकर बिधि का विधान, जुल्म हम सब सह गए हैं
नाज हमको था कभी पर आज सर झुकता शर्म से
कल तलक जो थे सुरक्षित आज सरे ढह गए हैं
ग़ज़ल :
मदन मोहन सक्सेना
BAHUT SUNDAR , BEHTREEN
जवाब देंहटाएंMERE BLOG PAR AAKAR HONSLA AFJAI KE LIYE SUKRIYA
अनेकानेक धन्यवाद सकारात्मक टिप्पणी हेतु.
हटाएंआपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 06/10/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कथ्य भाई जी-
जवाब देंहटाएंशिल्प भी अद्भुत ||
सुखद एहसास की अनुभूति हुई आपकी उपस्थिति मात्र से और आपकी प्रतिक्रिया से संबल मिला - हार्दिक धन्यवाद
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जवाब देंहटाएंबहुत आभार जो आप ने रचना का अवलोकन किया ! भविष्य में ऐसी ही कृपा का आकांक्षी रहूँगा! धन्यवाद!
हटाएंतेजी से बदलती दुनिया ...
जवाब देंहटाएंसत्या कहती रचना ...
बहुत आभार जो आप ने रचना का अवलोकन किया ! भविष्य में ऐसी ही कृपा का आकांक्षी रहूँगा! धन्यवाद!
हटाएंसटीक लिखा है ... आज कल तो चमचागीरी का ही राज है ।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार जो आप ने रचना का अवलोकन किया ! भविष्य में ऐसी ही कृपा का आकांक्षी रहूँगा! धन्यवाद!
हटाएंबहुत सुन्दर..
जवाब देंहटाएंबहुत आभार जो आप ने रचना का अवलोकन किया ! भविष्य में ऐसी ही कृपा का आकांक्षी रहूँगा! धन्यवाद!
हटाएंखूबसूरत दिल के अहसास
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा .आभार .
हटाएंएक बेहतरीन गजल !
जवाब देंहटाएंनाज हमको था कभी पर आज सर झुकता शर्म से
कल तलक जो थे सुरक्षित आज सरे ढह गए!
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा .आभार .
हटाएंबहुत शानदार ग़ज़ल शानदार भावसंयोजन हर शेर बढ़िया है आपको बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंआभार .
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जवाब देंहटाएंदूसरों का किस तरह नुकसान हो सब सोचते है ... इसी में सब खत्म हो रहे
सुंदर !
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा .आभार .
हटाएंबहुत सुन्दर गजल .. बधाई
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा .आभार .
हटाएंअब करा करता है शोषण ,आजकल बीरों का पोरुष
जवाब देंहटाएंमानकर बिधि का विधान, जुल्म हम सब सह गए हैं
बहुत सुन्दर शव्दों से सजी है आपकी गजल ,उम्दा पंक्तियाँ ..
आभार .
हटाएंसोचने योग्य सुन्दर गजल |
जवाब देंहटाएंसादर
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद .आशा है आगे भी आपका आशीर्वाद मेरी रचनाओं को मिलता रहेगा .आभार .
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