शुक्रवार, 30 नवंबर 2012

ग़ज़ल(बहुत मुश्किल)




ग़ज़ल(बहुत मुश्किल)

अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर
बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल

  
ख्वाबों और यादों की गली में उम्र गुजारी है
समय के साथ दुनिया में है रह पाना बहुत मुश्किल 


कहने को तो कह लेते है अपनी बात सबसे हम
जुबां से दिल की बातों को है कह पाना बहुत मुश्किल

ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता
अपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल

कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है
क्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल


ग़ज़ल :

मदन मोहन सक्सेना

20 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है
      क्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल .....wah wah bahut khoob

      हटाएं

  2. कल 02/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  3. अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर
    बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल

    बढ़िया रचना

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  4. कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है
    क्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल

    कहीं से खोजते-खोजते आपका ब्लॉग मिला...बहुत अच्छी ग़ज़ल है...

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  5. कितना खोया कितना पाया उसका क्या हिसाब करें हम|
    दर्पण पर जो धूल जमा है उसको कैसे साफ करें हम ||

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  6. ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता
    अपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल
    बहुत खूब लिखा है मदन जी ...वाह!

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  7. ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता
    अपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल
    kya sher kaha hai aapne. Sundar Ghazal.

    जवाब देंहटाएं
  8. ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता
    अपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल

    Kya sher kaha hai aapne. Sundar Ghazal.

    जवाब देंहटाएं
  9. कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है
    क्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल wah wah..bahut khoob

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  10. ख्बाबो और यादों की गली में उम्र गुजारी है
    समय के साथ दुनिया में है,रह पाना बहुत मुश्किल ..

    कहने को तो कह लेते है अपनी बात सबसे हम
    जुबां से दिल की बातो को है कह पाना बहुत मुश्किल

    बहुत ऊंचे पाए की गज़ल है अशआरों की खूबसूरती वल्लाह देखते ही बनती है कृपया बहुवचन के लिए अनुनासिक /अनुस्वार /बिंदी /

    लगाएं .मसलन ख्वाबों , ..............बातों पर बिंदी जड़ें शुक्रिया भाई जान .

    जवाब देंहटाएं
  11. ख्बाबो और यादों की गली में उम्र गुजारी है
    समय के साथ दुनिया में है,रह पाना बहुत मुश्किल ..

    कहने को तो कह लेते है अपनी बात सबसे हम
    जुबां से दिल की बातो को है कह पाना बहुत मुश्किल

    बहुत ऊंचे पाए की गज़ल है अशआरों की खूबसूरती वल्लाह देखते ही बनती है कृपया बहुवचन के लिए अनुनासिक /अनुस्वार /बिंदी /

    लगाएं .मसलन ख्वाबों , ..............बातों पर बिंदी जड़ें शुक्रिया भाई जान .

    जवाब देंहटाएं
  12. सुन्दर...उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  13. वाह ... सभी शेर सुन्दर गुलदस्ते की तरह ... बहुत उमदा ...

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  14. आपका लेख/आपकी कविता निर्झर टाइम्स पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें http://nirjhar-times.blogspot.com और अपने सुझाव दें।

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