ग़ज़ल(बहुत मुश्किल)
अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर
बिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल
ख्वाबों और यादों की गली में उम्र गुजारी है
समय के साथ दुनिया में है रह पाना बहुत मुश्किल
कहने को तो कह लेते है अपनी बात सबसे हम
जुबां से दिल की बातों को है कह पाना बहुत मुश्किल
ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता
अपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल
कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है
क्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल
ग़ज़ल :
मदन मोहन सक्सेना
सुन्दर गजल |
जवाब देंहटाएंबधाई भाई ||
कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है
हटाएंक्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल .....wah wah bahut khoob
जवाब देंहटाएंकल 02/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
अँधेरे में रहा करता है साया साथ अपने पर
जवाब देंहटाएंबिना जोखिम उजाले में है रह पाना बहुत मुश्किल
बढ़िया रचना
बहुत बढ़ियाँ गजल है..
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंकुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है
क्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल
कहीं से खोजते-खोजते आपका ब्लॉग मिला...बहुत अच्छी ग़ज़ल है...
very nice...
जवाब देंहटाएंकितना खोया कितना पाया उसका क्या हिसाब करें हम|
जवाब देंहटाएंदर्पण पर जो धूल जमा है उसको कैसे साफ करें हम ||
ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता
जवाब देंहटाएंअपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल
बहुत खूब लिखा है मदन जी ...वाह!
वाह, बेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता
जवाब देंहटाएंअपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल
kya sher kaha hai aapne. Sundar Ghazal.
ज़माने से मिली ठोकर तो अपना हौसला बढता
जवाब देंहटाएंअपनों से मिली ठोकर तो सह पाना बहुत मुश्किल
Kya sher kaha hai aapne. Sundar Ghazal.
Bina jokhim ujaale me hai rah pana bahut mushkil.
जवाब देंहटाएंAchchha prekshan!
कुछ पाने की तमन्ना में हम खो देते बहुत कुछ है
जवाब देंहटाएंक्या खोया और क्या पाया कह पाना बहुत मुश्किल wah wah..bahut khoob
ख्बाबो और यादों की गली में उम्र गुजारी है
जवाब देंहटाएंसमय के साथ दुनिया में है,रह पाना बहुत मुश्किल ..
कहने को तो कह लेते है अपनी बात सबसे हम
जुबां से दिल की बातो को है कह पाना बहुत मुश्किल
बहुत ऊंचे पाए की गज़ल है अशआरों की खूबसूरती वल्लाह देखते ही बनती है कृपया बहुवचन के लिए अनुनासिक /अनुस्वार /बिंदी /
लगाएं .मसलन ख्वाबों , ..............बातों पर बिंदी जड़ें शुक्रिया भाई जान .
ख्बाबो और यादों की गली में उम्र गुजारी है
जवाब देंहटाएंसमय के साथ दुनिया में है,रह पाना बहुत मुश्किल ..
कहने को तो कह लेते है अपनी बात सबसे हम
जुबां से दिल की बातो को है कह पाना बहुत मुश्किल
बहुत ऊंचे पाए की गज़ल है अशआरों की खूबसूरती वल्लाह देखते ही बनती है कृपया बहुवचन के लिए अनुनासिक /अनुस्वार /बिंदी /
लगाएं .मसलन ख्वाबों , ..............बातों पर बिंदी जड़ें शुक्रिया भाई जान .
सुन्दर...उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंवाह ... सभी शेर सुन्दर गुलदस्ते की तरह ... बहुत उमदा ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंआपका लेख/आपकी कविता निर्झर टाइम्स पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें http://nirjhar-times.blogspot.com और अपने सुझाव दें।
जवाब देंहटाएं