ग़ज़ल ( प्यार से प्यार )
जानकर अपना तुम्हे हम हो गए अनजान खुद से
दर्द है क्यों  अब तलक अपना हमें  माना  नहीं  नहीं है 
अब सुबह से शाम तक बस नाम तेरा है लबों  पर 
साथ हो अपना तुम्हारा और कुछ पाना नहीं है 
गर कहोगी रात को दिन ,दिन लिखा  बोला करेंगे 
गीत जो तुमको न भाए वह  हमें गाना नहीं है 
गर खुदा भी रूठ जाये तो हमें मंजूर होगा 
पास वह  अपने बुलाये तो हमें जाना नहीं है
प्यार में गर मौत दे दें तो हमें शिकबा नहीं है
प्यार में वह प्यार  से कुछ भी कहें  ताना नहीं  है
ग़ज़ल :
मदन मोहन सक्सेना