सोमवार, 19 अगस्त 2013

ग़ज़ल (ये कल की बात है)


ग़ज़ल (ये कल की बात है)


उनको तो हमसे प्यार है ये कल की बात है 
कायम ये ऐतबार था ये कल की बात है 

जब से मिली नज़र तो चलता नहीं है बस 
मुझे दिल पर अख्तियार था ये कल की बात है 

अब फूल भी खिलने लगा है निगाहों में 
काँटों से मुझको प्यार था ये कल की बात है 

अब जिनकी बेबफ़ाई के चर्चे हैं हर तरफ 
बह पहले बफादार था ये कल की बात है 

जिसने लगायी आग मेरे घर में आकर के 
बह शख्श मेरा यार था ये कल की बात है 

तन्हाईयों का गम ,जो मुझे दे दिया उन्होनें
बह मेरा गम बेशुमार था ये कल की बात है 



ग़ज़ल प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

14 टिप्‍पणियां:

  1. वाह लाजवाब गजल, हार्दिक शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  2. बहुत ही सुन्दर गजल
    बेहतरीन, आभार !

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  3. राखी की हार्दिक शुभकामनायें
    कल की बात कल होगी ....

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  4. खुबसूरत ग़ज़ल …… मन का दर्द बहुत सरलता से कहते ग़ज़ल

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  5. खुबसूरत ग़ज़ल …… मन का दर्द बहुत सरलता से कहते ग़ज़ल

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  6. वो कल तो मेरे दोस्त थे ,अब पीठ हर तरफ

    वह पहले मेरे साथ थे ,ये कल की बात है।

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  7. अब फूल भी खिलने लगा है निगाहों में
    काँटों से मुझको प्यार था ये कल की बात है
    अब जिनकी बेबफ़ाई के चर्चे हैं हर तरफ
    बह पहले बफादार थे ये कल की बात है
    बहुत सुन्दर.
    http://yunhiikabhi.blogspot.com
    http://dehatrkj.blogspot.com

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  8. मतला और शे'र ४ में क़ाफ़िया एक बार check कर लें

    कहीं कहीं बहर खारिज़ हो रही है

    ख़याल उम्दा है

    Anand pathak

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  9. अब जिनकी बेबफ़ाई के चर्चे हैं हर तरफ
    बह पहले बफादार थे ये कल की बात है

    bahut khoob likha hai saxena ji apne ......lajbab gajal pr hardik badhai .

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  10. यह वेलकम ग़ज़ल पढ़ने नहीं देता। इसे हटाइये या कहीं कोने में बिठाइये।

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  11. शे'र नं४ में
    " वफादार था"---होना चाहिए

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  12. जब से मिली नज़र तो चलता नहीं है बस
    मुझे दिल पर अख्तियार था ये कल की बात है ..
    वाह .. लाजवाब ... प्रेम में ऐसा होना स्वाभाविक है ...

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  13. अब फूल भी खिलने लगा है निगाहों में
    काँटों से मुझको प्यार था ये कल की बात है ..
    प्रेम है तो फूल स्वतः ही खिलने लगे हैं ... काटें भी फूल लगते हैं ...

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