शुक्रवार, 3 जनवरी 2020

ग़ज़ल ( वो शख्श मेरा यार था)






उनको तो हमसे प्यार है ये कल की बात है 
कायम ये ऐतबार था ये कल की बात है 

जब से मिली नज़र तो चलता नहीं है बस 
मुझे दिल पर अख्तियार था ये कल की बात है 

अब फूल भी खिलने लगा है निगाहों में 
काँटों से मुझको प्यार था ये कल की बात है 

अब जिनकी बेबफ़ाई के चर्चे हैं हर तरफ 
वह पहले बफादार था ये कल की बात है 

जिसने लगायी आग मेरे घर में आकर के 
 वो शख्श मेरा यार था ये कल की बात है 

तन्हाईयों का गम ,जो मुझे दे दिया उन्होनें
बह मेरा गम बेशुमार था ये कल की बात है 



ग़ज़ल प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

6 टिप्‍पणियां:


  1.  जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 3 जनवरी 2020 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद! ,

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  2. "जिसने लगायी आग मेरे घर में आकर के
    वो शख्श मेरा यार था ये कल की बात है"

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  3. बहुत शानदार रचना ।बहुत अच्छा लिखा है आपने ।बधाई शुभकामनाएँ ।

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