मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

ग़ज़ल(खेल जिंदगी)

ग़ज़ल(खेल जिंदगी)

दिल के पास हैं लेकिन निगाहों से वह  ओझल हैं
क्यों असुओं से भिगोने का है खेल जिंदगी। 

जिनके साथ रहना हैं ,नहीं मिलते क्यों दिल उनसे
खट्टी मीठी यादों को संजोने का है खेल जिंदगी।


किसी के खो गए अपने, किसी ने पा लिए सपनें
क्या पाने और खोने का है खेल जिंदगी।


उम्र बीती और ढोया है, सांसों के जनाजे को
जीवन सफर में हँसने रोने का
है  खेल जिंदगी।


किसी को मिल गयी दौलत, कोई तो पा गया शोहरत
मदन बोले , काटने और बोने का ये खेल जिंदगी।




ग़ज़ल प्रस्तुति:
मदन मोहन सक्सेना

24 टिप्‍पणियां:

  1. उम्र बीती और ढोया है, सांसों के जनाजे को
    जीवन सफर में हँसने रोने का खेल जिंदगी। b

    बहुत सुंदर लिखा है ...
    शुभकामनायें ...

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    1. सुखद एहसास की अनुभूति हुई आपकी उपस्थिति मात्र से और आपकी प्रतिक्रिया से संबल मिला - हार्दिक धन्यवाद

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  2. आपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 15/12/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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    1. अनेकानेक धन्यवाद सकारात्मक टिप्पणी हेतु.शुक्रिया हलचल में हमारी पोस्ट शामिल करने का।

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  3. किसी को मिल गयी दौलत, कोई तो पा गया शोहरत
    मदन बोले , काटने और बोने का ये खेल जिंदगी।

    बहुत ही गहरी बात ! सच्ची अभिव्यक्ति !!

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  4. जीवन के इस खेल को बाखूबी लिखा है ...

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  5. सक्सेना जी, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुती, ग़ज़ल बहुत अच्छी बन पड़ी है।।
    बहुत बहुत आभार।।

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  6. उम्र बीती और ढोया है, सांसों के जनाजे को
    जीवन सफर में हँसने रोने का है खेल जिंदगी।

    शानदार गज़ल के इस शेर के लिए खासतौर पर दाद कबूल करें.जीवन के विभिन्न आयाम पर गहन चिंतन |

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    1. आदरणीय जी ,सादर अभिवादन ! प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ ! सदैव मेरे ब्लौग आप का स्वागत है !!

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  7. ये हँसना रोना ही ज़िंदगी है ... खूबसूरत गज़ल

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  8. उत्तर
    1. आपकी उत्साह बढ़ाने वाली प्रतिक्रिया मिली बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद !

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  9. उत्तर
    1. श्रद्धेय वर ; नमन !…… आप की हार्दिकता सदैव कुछ न कुछ नया करने को प्रेरित करती है | प्रतिक्रियार्थ आभारी हूँ

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  10. वाह...
    बहुत खूब..
    जिनके साथ रहना हैं ,नहीं मिलते क्यों दिल उनसे
    खट्टी मीठी यादों को संजोने का है खेल जिंदगी।

    बेहतरीन शेर....
    अनु

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    उत्तर
    1. आपकी उत्साह बढ़ाने वाली प्रतिक्रिया मिली बहुत अच्छा लगा। धन्यवाद !

      हटाएं

  11. हंसने ,रोने गाने , रूठने ,मनाने, मान जाने का खेल है ज़िन्दगी ...
    समझौतों को गले लगाने का खेल है ज़िन्दगी ....

    नहीं खेल आजमाने मात खाने का ज़िन्दगी ...कुछ ऐसे ही भाव पिरोये रचना आगे बढ़ती है ...

    साक्षी भाव से ज़िन्दगी को देखने निहारने का खेल है ज़िन्दगी ...

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